20 Facts about Crocodile | मगरमच्छ से सम्बंधित जानकारी

20 Facts about Crocodile | मगरमच्छ से सम्बंधित जानकारी

20 Facts about Crocodile | मगरमच्छ से सम्बंधित जानकारी 

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1.मगरमच्छ और मगरमच्छ की अन्य जितनी भी  प्रजातिया है जो मगरमच्छ से सम्बंधित है वे सभी इतने कुशल जीव  है की वे डायनासोरो के युग से ही इस धरती पर जीवित है और आज तक इस धरती पर है और देखा जाये तो तब से इनकी शारीरिक बनावट मैं कोई बदलाव भी नहीं आया है 

2. मगरमच्छ Crocodile समुद्र के अलावा नदियों और तालाबो में भी पाये जाते है। मगरमच्छ एक ऐसा जीव है जो खारे और मीठे पानी मे भी रह सकता है।


3. खारे पानी के मगरमच्छ मीठे पानी के मगरमच्छ से आकार में बड़े होते है। खारे पानी का मगर 20 फ़ीट तक लम्बा होता है। मीठे पानी के मगरमच्छ की लंबाई 8 से 13 फ़ीट होती है।

5. अब तक दुनिया मैं मगरमच्छ की 23 प्रजाति की खोज की जा चुकी है।

6. मगरमच्छ Crocodile मांसाहारी और शिकारी छवि वाले प्राणी है।मगरमच्छ पानी के साथ साथ जमीन पर भी रहने मैं कुशल होते है और ये इस कुशलता का अच्छे से फायदा भी उठाते है यह जलीय जीवों के साथ ही स्थलीय जीवो को भी खा जाता है। कई मामलो में तो इन्होने इंसानो पर भी हमले किये है 

7. देखा जाये तो मगरमच्छ पानी मे रहने वाला जीव है लेकिन यह एक सरीसृप भी है और सरे सरीसृप ठंडे खून वाले होते है और धूप सेकने और आराम करने के लिए स्थल पर या गर्म चटानो पर आते है आइये इसे और थोड़ा समझते है की ऐसा क्यों है सभी सरीसृपो का ऐसा करना जरुरी है क्योकि धुप सेकने से उनका शरीर और खून गर्म हो जाता है जिससे उन्हें अपने भोजन को पचने मैं भी सहायता मिलती है  

8. मगरमच्छ के 24 नुकीले दांत होते है जो शिकार को चीर फाड़ देते है। यह भोजन को सीधा निगल जाता है। मगरमच्छ पेट मे खाने को पचाने के लिए छोटे पत्थरो को भी निगल जाता है।

9. मगरमच्छ लंबे समय तक बिना कुछ खाये पिये जिंदा रह सकता है।

10. मगरमच्छ के जबड़े बहुत मजबूत और लम्बे होते है। इसका जबड़ा इतना बड़ा होता है कि यह बड़े जीव को भी आसानी से निगल लेता है।

11. मगरमछ की आंखे इसके सर पर होती है। आंखे थोड़ी उभरी हुई होती है। इसकी आंखों पर भी एक पर्दा होता है जिससे आंखों में पानी नही जाता है।

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Nile-Crocodile

12. बड़ी ही अनोखी और हैरान करने वाली बात है कि मगरमच्छ खाना खाते समय आंसू निकालते है। 13. मगरमच्छ का खून ठंडा होता है। इसके पसीना भी नही आता है क्योंकि इसकी त्वचा पर पसीने की ग्रन्थियां नही होती है।

14. मगरमच्छ की त्वचा बहुत सख्त होती है। यह एक मोटी खाल होती है जो काले भूरे रंग की होती है।

15. मगरमच्छ की पूछ बहुत ताकतवर होती है। इसी पूँछ की मदद से मगरमच्छ किसी भी जीव को लपेटकर पानी मे ले जाता है। अपनी पूंछ की सहायता से पानी मे तैरता है। पानी मे मगरमच्छ की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घण्टा होती है।

16. मगरमच्छ का जीवनकाल 70 से 80 साल होता है।

17. मगरमच्छ अंडे देता है। इन अंडों से ही बच्चे विकसित होते है। मादा मगरमच्छ किनारे पर आकर अंडों को मिट्टी में गाड़ देते है। मगरमच्छ के अधिकांश बच्चो को जलीय जीव खा जाते है।

18. मगरमच्छ जब मुंह खुला रखता तब भी पानी पेट मे नही जाता है। क्योकि मगरमच्छ के गले के अंदर पर्दे जैसा वाल होता है  जो पानी को मगरमछ के गले से निचे नहीं जाने देता है जिसकी सहायता से मगरमछ पानी के नीचे भी शिकार कर सकता है और पानी के नीचे खा भी सकता है 

19. मगरमच्छ को सांस लेने के लिए पानी के बाहर आना पड़ता है लेकिन यह पानी मे लम्बे वक्त तक रह भी सकता है।

20.मगरमच्छ एक शिकारी पर्विती के जीव होते है जो छीप कर शिकार करना पसंद करते है तो जाहिर सी बात है की मगरमच्छ पानी के किनारे आराम तो करते है लेकिन थोड़ी सी आहत होंने पर भी ये तेजी से पानी मे वापस चले जाते है। या परघात कर देते है 

21 .दोस्तों अपने कभी न कभी ये जरूर सोचा होगा की समुन्द्र मैं मगरमच्छ  मिलते दोस्तों वैसे तो मगरमच्छ दो प्रकार के होते है एक खारे पानी के मगरमच्छ और दूसरे मीठे पानी के मगरमच्छ परन्तु  मगरमच्छ समुन्द्र मैं नहीं मिलते क्योकि दोस्तों मगरमच्छ पानी के साथ साथ जमीन पर भी रहते है और अपने अंडो भी वो जमीन पर मांद मैं देते है और उनकी देख रेख भीं करते है और समुन्द्र मैं न रहने का एक कारण ये भी है की मगरमच्छ एक सरीसृप जाति का जीव है जिन्हे अपने ठन्डे खून को गर्म करने के लिए जमीन आना ही पड़ता है 

22 . मगरमच्छ के हृदय मे चार कक्ष होते हैं?


घड़ियाल

1 . घड़ियाल सरीसृप वर्ग के मकर गण के गेविएलिस वंश का सबसे लंबा जीव है, जो केवल भारतवर्ष के उत्तरी भाग की बड़ी ओर उनकी सहायक नदियों में पाया जाता है। मगरमच्छ का निकट संबंधी होकर भी इसका थूथन उसकी तरह छोटा न होकर काफ़ी पतला और लंबा रहता है और नरों के प्रौढ़ हो जाने पर सिरे पर एक गोल लोटे जैसा कुब्बा सा निकल आता है, जो इसकी तूंबी कहलाता है। 

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घड़ियाल

2  . घड़ियाल मगरमच्छ की तरह हिंसक न होकर मछलीखोर जंतु है, जो आदमियों और जानवरों पर हमला नहीं करता, लेकिन दबाव में पड़ने पर कभी कभी उसके दुम का वार घातक भी हो सकता है। घड़ियाल दीर्घजीवी प्राणी है, जो समय पाकर 20-25 फुट तक का हो जाता है। इसकी त्वचा बहुत कड़ी और मजबूत होती है, जो देखने में चारखाने की तरह जान पड़ती है। इसके शरीर के ऊपरी हिस्से की खाल के नीचे तो हड्डियों को तह रहती है, लेकिन निचले भाग की खाल बहुत मोटी और मजबूत होती है। यह बहुत कीमती बिकती है और इसी से जूते तथा सूटकेस वगैरह बनाए जाते हैं।


3  . घड़ियाल के लंबे थूथन में ऊपर और नीचे की ओर बहुत लंबे, तेज, नुकीले दाँत होते हैं, जो मुँह बंद करने पर इस प्रकार बैठ जाते हैं कि उसकी पकड़ से किसी भी शिकार का छूट निकलना आसान नहीं होता। इसके ऊपरी थूथन में ऊपर की ओर हर तरफ 27-29 दाँतों की पंक्ति रहती है। घड़ियाल जलचर प्राणी है, जो पानी के भीतर काफ़ी देर तक रह लेता है, लेकिन वह मछलियों की तरह पानी में घुली हुई हवा के द्वारा साँस नहीं ले सकता और इसीलिये उसे थोड़ी थोड़ी देर के बाद पानी की सतह पर साँस लेने के लिये आना पड़ता है। पानी के भीतर यह अपनी दुम को इधर उधर चलाकर बहुत तेजी से आगे बढ़ता है और खुश्की पर भी अपने चारों पैरों के सहारे अपने भारी शरीर को उठाकर काफ़ी तेज भाग लेता है। इसे हम दिन में अक्सर नदियों के किनारे धूप सेंकते देख सकते हैं, लेकिन इसका शाम का समय मछलियों के शिकार में ही बीतता है। 


4  . घड़ियाल के शरीर का ऊपरी भाग जैतूनी रंग का होता है, जो पुराना हो जाने पर और भी गाढ़ा हो जाता है। नीचे का हिस्सा सफ़ेद रहता है। इसकी आँखें उभरी रहती हैं, जिनपर एक प्रकार की पारदर्शी झिल्ली रहती है। इसे पानी के भीतर जाने पर चढ़ा लेता है। इसकी उँगलियाँ कुछ दूर तक आपस में जुटी रहती हैं और टाँगों पर का कुछ हिस्सा रीढ़ सा उठा रहता है।


hello everyone my name is ROHIT DIGWAL and i am from new delhi India

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