hyena a Different animal facts | लकड़बग्घा के विचित्र तथ्य

hyena a Different animal facts | लकड़बग्घा के विचित्र तथ्य

हैलो दोस्तो कैसे हो आप सब मैं रोहित डीगवाल एक बार फिर आप सभी का स्वागत करता हुँ । अपनी शब्दो की दुनिया जानकारी एवरीथिन्ग (Jankari Everything) पर ।


       लकड़बग्घा के बारे मैं आश्चर्येजनक तथ्य 


लकड़बग्घे एक बोहोत ही अलग प्रकार के मांसाहारी प्राणी होते है। और ये प्राणी विभिन्न प्रकार की बोलियाँ भी बोलता है। इसका ठहाका बहुत प्रसिद्ध है। कई बार अच्छा भोजन पाकर यह अचानक ही जोर से ठहाका लगाता है। वन विशेषज्ञ मैथ्यूज ने लिखा है, “हरिद्वार के वनों में मैंने लकड़बग्घे के ठहाके बहुत सुने हैं। चाँदनी रात में वनों में ये ऐसे अट्टाहास करते हैं जैसे कोई पागल आपे से बाहर होकर बार-बार हँस रहा हो। थोड़ी-थोड़ी देर के बाद कहकहों से शान्त वायुमण्डल गूँज उठता है।”

लकड़बग्घा kon hai
लकड़बग्घा

जंगलो में पर्यावरण की सुरक्षा में लकड़बग्घो का बहुत योगदान है। यह जंगलो के चक्कर लगाते रहते हैं। और जहाँ बीमारी से मरे जानवरों को शिकारी पशु नहीं खाते परन्तु ये बड़े सफाई से उन्हें चट कर जाते हैं। बाघ जाति के जानवर अपने शिकार का कुछ भाग खाते हैं और कुछ सड़ने के लिये छोड़ देते हैं। उस बदबूदार माँस के हिस्से का लकड़बग्घे सेवन करते हैं। ये वन में लगे कैम्पों तथा घरों से बाहर फेंकी हुई जूठन और हड्डियों के टुकड़ों को खाने के लिये ये रात में चकर लगते रहते हैं। मांस और हड्डी के छोटे-छोटे टुकड़ों के लिये यह एक दूसरे से खूब लड़ते हैं साथ ही ये  मैदानों और जंगलों मैं मौजूद अन्य जानवरो की सड़ रही लाशो को भी नहीं छोड़ते इसलिए इसे ‘गन्दगी साफ करने वाला क्रियाशील सफाईकर्मी’ भी  कहा जाता है।

लकड़बग्घा ke facts jankari everything
Hyena facts

लकड़बग्घा एक ऐसा जीव है जो हड्डियाँ तक चट जाता है। इस कारण इसका मल चाक जैसा सफेद होता है। जिसे  दवा के रूप में भी कई जगह इस्तेमाल होता है। ‘एल्बम ग्रसियम’ के नाम से इसे गिल्लड़,और मस्से जैसे रोगों  लिए  प्रयोग किया जाता है। भारत के पूर्वी हिस्सो में तो लकड़बग्घे की जीभ और चर्बी को सूजनों और रसौलियों को बिठाने के लिये इस्तेमाल में लिया जाता है। अफ्रीका में इसकी चर्बी रोगग्रस्त अंगों पर लगाई जाती है। मिस्त्र में नीलघाटी के लोग लम्बी उम्र के लिये इसका दिल तक खा जाते हैं। इसे मनुष्य के लिये कई तरह से उपयोगी जीव माना गया है।

लकड़बग्घा kya khate hai
Wild animal

मुख्यता लकड़बग्घे दो प्रकार के होते हैं- चीतला और धारीदार। इसे अंग्रेजी में ‘स्पॉटेड हायना’ और ‘ स्ट्राइप्ड हायना’ कहते हैं। और संस्कृत में दोनों का नाम ‘तरक्षु’ है। भारतीय महाद्वीप में धारीदार लकड़बग्घे पाए जाते है और जबकि अफ्रीका के हिस्सों मैं चीतल लकड़बग्घे पाए जाते हैं।

जिस तरह अफ्रीकी लकड़बग्घे झुण्ड में रहते हैं वही दूसरी और धारीदार लकड़बग्घे उनकी तरह सामाजिक प्राणी नहीं होते हैं। धारीदार लकड़बग्घे अपने पुरे जीवन मैं एक ही साथी के साथ जीवन गुजारते हैं।

कुछ समय पहले तो भारत में इनकी संख्या मैं काफी कम हो चुकी थी क्योंकि कई बार किसान इनके द्वारा मारे मवेशियों पर जहर छिड़क दिया करते थे जिससे इनकी मौत हो जाती थी। परन्तु हाल के वर्षों में संरक्षण के कारण भारत के पश्चिमी घाट के जंगलों में लकड़बग्घों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है।


कुछ रोचक बाते :-

hyena strong bites
hyena strong bite

1. यह परजीवी प्राणी है। इसके शक्तिशाली जबड़े होते हैं। मजबूत अगली टाँगें और नुकीले दाँत होने के बावजूद यह बड़ा शिकार करने में असमर्थ है। कभी-कभी बीमार और जख्मी छोटे जीवों पर हमला करता है।

2. अफ्रीका में चोरी-छिपे शिकार करने वालों के फन्दों में जो जानवर फँस जाते हैं उन्हें शिकारियों के आने से पहले ही लकड़बग्घे खा लेते हैं।

3. चीतला लकड़बग्घा खाने की कमी के चलते कीट-पतंगों को भी खा जाता है। टिड्डों का यह विशेष शौकीन है। जिन दिनों टिड्डीयो के झुण्ड आते हैं, वह उन्हीं से पेट भर लेता है।

4. गर्मियों दिनों मैं जब तालाब सूखने लग जाते हैं तब इन्हें वहाँ से मछली पकड़ते हुए देखा जाता है।

5. यह चमड़े की बनी किसी भी चीज को नहीं छोड़ता, बन्दूक का कवर और जूतों को भी चबा जाता है।

who is hyena
Groupe of hyena

6. पुरी दुनिया में धारीदार लकड़बग्घों की संख्या ज्यादा है, चीतल लकड़बग्घों की संख्या बहुत कम है।

7. यह जीव बहुत बदसूरत होता है। सड़ा मांस और मुर्दाखोर होने के कारण इसके शरीर से दुर्गंध आती है। कई जानवर जैसे गिध्द और मरे हुऐ जानवरो की लाशो को खाने वाले जानवर भी इसका माँस खाने में हिचक महसूस करते हैं।

8. इसकी लम्बाई 150 से.मी., ऊँचाई 90 से.मी. तथा इनके शरीर का भर करीब 40 किलोग्राम तक होता है।

9. गर्दन मोटी, अगली टाँगें भारी, आँखें गहरी, जीभ खुरदरी, चौड़ा सिर इसकी पहचान है। और इसके शरीर की इस भद्दी बनावट से इसकी चाल पर भी असर पड़ता है। ऐसा लगता है कि मानो इसकी चल मैं ही लड़कपन है 

10. मादा 2 वर्ष में बच्चे पैदा करने योग्य हो जाती है। एक बार में दो-तीन शावक पैदा होते हैं।

11. इसकी औसत उम्र 19 वर्ष मानी जाती है। चि़ड़ियाघरों में 25-30 साल तक भी जी लेते हैं।

12. चिड़ियाघरों में भी यह गन्दा जानवर माना जाता है। इसका बाड़ा दूर-दूर तक दुर्गंध फैलाता है। और इसका कारण यह है की ये एक मुर्दा भकशी जानवर है पर्यटक भी इसके पास जाने से कतराते हैं।

2 comments

  1. Nice article, thank you for sharing wonderful information. I am happy to found your blog on the internet. You can also check - hyena in hindi

    ReplyDelete

Please do not enter any spam link in the comment box